सर्जिकल स्ट्राईक पर क्यों दें सबूत।
***************अलीम*********
जब देश का नागरिक अपने को असुरक्षित महसूस करने लगें और आपनी सुरक्षा पर हुक्मरानों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करने लगे उस समय जो कदम सरकार द्वारा उठाये जाते है उसे कोई भी नाम दो आक्रमण या सर्जिकल स्ट्राईक दोनों का मकसद और मतलब एक होते है।
18 सैनिको की हत्त्या के बदले जो आक्रमण हमने किया उसको पकिस्तान नही स्वीकार रहा है तो कोई बात नही लेकिन हमारे लोग उस आक्रमण पर सवालिया निशान लगाने लगे। इसको देखकर लगता कि अभी जयचन्द्र और विभीषण ज़िंदा है। इनके भरोसे देश को छोड़ दिया जाये तो देश किस दिशा में जाएगा कहने की ज़रूरत नही है।
ऐसा नही है के भारत की सेना ने ये पहली बार किया है इससे पहले भी।
NSCN के आतंकियों ने 4 जून 2015 को मणिपुर के चंदेल में फौज की टुकड़ी पर हमला किया था। उस हमले में भी हमारे 18 जवान शहीद गए थे ।10 जून 2015 को इस हमले का बदला लेने के लिए भारतीय जवानों ने म्यांमार की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। तब फौज ने म्यांमार में दाखिल होकर आतंकी संगठन NSCN के टेरर कैंप को तबाह किया था।
तब सवाल क्यों नही उठे। क्यों की इसकी जानकारी सेना और सरकार के सिवा किसी को नही थी।
आज जो सर्जिकल स्ट्राईक पर मीडिया ट्रायल चल कर रहा है वो देश की सेना को पसंद नही। जब कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक सेना की कार्यवाही को सराहा जा रहा है उस समय उनके विरोध में बोल रहे व्यक्तियों के आगे कैमरे नही लगाने चहिये और न स्याही बर्बाद करनी चाहिए।
रोज़ रोज़ पकिस्तान से गेस्ट बुलाकर अपनी टी. आर.पी. बढ़ाने से बाज़ आना चाहिए। जब सरकार कह रही है कि पकिस्तान को कोई सबूत किसी कीमत पर नही देना। और समय आने पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबूत पेश कर देगी तो मीडिया क्यों सफाई देने में लगी है मेरी समझ में किसी को सफाई देने की कोई ज़रूरत नही।
हमने इसबार जो किया है । ऐसा जब भी हमारे ऊपर आंतक हमला होगा अब हर दम ऐसा ही करेंगे। इस मुद्दे पर बड बोले नेताओ को राजनीति न करने की सलाह देने वाले मिडिया चैनलों को अपना व्यापार भी बंद करना चाहिए।
जैसे आमेरिका की मीडिया ने किया था।
इसी विधि से पकिस्तान के एबटाबाद में लादेन को मार दिया गया था और मारने वाले रातो रात सात समुन्दर पर चले गए थे।जब सवाल क्यों नही किये गए। क्यों की पश्चिम देशो के लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आज़ादी तो है। लेकिन देश की सुरक्षा पर न बोलने पर हिदायत भी। यही कारण है कि एबताबाद पर उनकी मीडिया ने चुपी साध ली थी।जो आज तक नही खोली
यही हाल इज़राईल का है फिलस्तीन के एक हमले पर फ़लस्तीन पर हमला का अम्बार लगा देता है।कभी न सबूत देता और न लेता है।और हमारे देश में कुछ होने पर सोशल मीडिया पर जो ज्ञान परोसा जाने लगता है ज्ञान परोसने वालो को ये भी सोचना चाहिए। के आप का अल्प ज्ञान कही न कही हमारी गुप्त विभागों को और सामरिक छमता को नुक्सान पहुचता है।
देश बुलन्दियों पर है। इसकी बुलन्दी कायम रहे। विकास के दरवाजे खुले।रोजगार बढ़े शांति और सदभाव बना रहे।ऐसे मेसेज सोशल मीडिया में भेजने चाहिए। ये हम लोगो का देश के प्रति संकल्प होना चाहिए।